Sunday, December 14, 2008

थोड़ा इतिहास टूम10 का

बरसों पहले जब हम छात्र थे, १० लोगों ने मिलकर सोचा कि एक ग्रुप बनाया जाए। बस फ़िर क्या था, तुंरत ही नाम पर विचार शुरू हो गया। राजस्थानी भाषा का एक शब्द है 'टूम' जिसका अर्थ है गहना या आभूषण। बस हो गई शुरुआत कलाकारों के इस समूह की। यह साल था 1991। और दस टूमें थीं - रामकिशन अडिग, महेन्द्रप्रताप शर्मा, राजेंद्र सिंह सुथार, अलका सिंह, मंजू शर्मा, सिद्धि राजोरिया, राजीव यादव, घनश्याम, दयानंद तथा शिप्रा निगम।

एक नया चित्रकार

जल्द ही आपको रूबरू करवाएंगे एक नए चित्रकार से। यह एक रहस्य है दो-तीन दिन के लिए। उसके बाद तो आपको पता चल ही जाएगा की वह कौन चित्रकार है। यहाँ यह भी बता दें कि टूम१० की प्रदर्शनी में बहुत से सोये कलाकार जागे तो हैं ही, कुछ ने बिल्कुल पहली बार किसी प्रदर्शनी में भाग लिया था।

Friday, December 5, 2008

"The Notes" एक प्रदर्शनी

टूम १० द्वारा एक प्रदर्शनी का आयोजन जवाहर कला केन्द्र जयपुर में ७ नवम्बर से 1४ नवम्बर २००८ तक किया गया। इस प्रदर्शनी में महेन्द्रप्रताप शर्मा, मुग्धा सिन्हा, निधि सक्सेना, ओम पुरोहित कागद, ओम सुथार, राजेन्द्रसिंह सुथार एवं रामकिशन अडिग ने अपनी मूर्तियाँ एवं चित्र प्रर्दशित किए। प्रदर्शनी का उदघाटन श्री नन्दकिशोर आचार्य एवं श्री नन्द भारद्वाज द्वारा किया गया
प्रदर्शनी को हजारों दर्शकों ने देखा.प्रदर्शनी को फिल्मकार मुज़फ्फर अली, स्विट्जरलैंड के फोटोग्राफर अश्विन गाथा, क्रिस हरलो, स्विस चित्रकार गिसेले, चित्रकार विद्यासागर, शिक्षाविद रमेश थानवी जैसे दिग्गजों ने देखा और सराहा।