हम सुनी सड़क पे संग थे
अचानक कुछ पहियों ने हमको आकर रोंद दिया
कान सुनते है एक तो बच निकला
दूसरा आँखें गवां कर यहीं भटकता फिरता है
रौशनी कभी तो इस राह से गुजरेगी
मैं अँधा होकर तेरी तलाश में हूँ !
बलराम कांवट(Poet)
गंगापुर सिटी, सवाईमाधोपुर में जन्मे, राजस्थान विवि से MA के बाद FTII पुणे से फ़िल्म पटकथा में डिप्लोमा की पढाई, अपने खास ग्रामीण मुहावरे और सूक्ष्म नज़र वाली उनकी कविताएँ लगातार छप रही है और सराही जा रही है ... इन दिनों दिल्ली में अपने सपनों के साथ उनकी रिहायश है।
ज्योति व्यास (Artist)
जोधपुर की पैदाइश, पैसे से graphic designer है. मन से एक कलाकार है. तस्वीरनवाजी का शौक एक जुनून की हद तक है, कभी कभी शब्दों से खेलना पसंद है, इन दिनों जयपुर में रहती हैं.
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