Tuesday, January 18, 2011

हम कदम (प्रेमचंद गाँधी Vs महेन्द्र प्रताप शर्मा

A TOOM10`s conspiracy to bring PHOTOGRAPHER, PAINTER and POETS Together

मलयाली स्त्रियाँ


दो जून भात की तलाश में
अपना घर -परिवार और
हरा -भरा संसार छोड़कर
रेत के धोरों तक आती हैं

समुद्र की बेटियां

भाषाई झगड़ों को भूलकर

बड़ी मेहनत से सिखाती हैं हिंदी

जैसे सीखी थी कभी अंग्रेजी

जो यहाँ कम काम आती है

कुछ दिन उन्हें परेशान करती हैं

धूल भरी
आंधियां और तपती लू
धीरे
-धीरे वे समझ लेती हैं
रेत के समंदर को हिंद महासागर

चिपरिचित सागर गर्जना से

हजारो कोस दूर वे

कुशल गोताखोर की तरह

चुनती रहती है

उम्मीद की सीपियाँ

जिनमे से निकलेगे वे मोती

जिनसे भरा जा सकेगा
मरुस्थल से सागर तक का फासला

और दोनों वक़्त का पेट

ये श्यामवर्णी समुद्र की
बेटियां
अपने केशों से बसी नारियल की गंध से

सुवासित करती रहती है

रेगिस्थान की तपती जलवायु

हर पल सजाती रहती है

अपनी मेहनत से नखलिस्तान!


प्रेमचंद गाँधी (Poet)
जयपुर में जन्म
, पहले ही कवितासंग्रह - '' इस सिम्फनी में'' पर राजेन्द्र बोहरा और लक्ष्मण प्रसाद मंडलोई सम्मान मिले , चिंतनपरक लेखों की किताब ""''संस्कृति का समकाल'' चर्चित रही, वे हिंदी और अंग्रेजी में परस्पर अनुवाद बहुत मन से करते रहे हैं,पाकिस्तान की दो यात्राएं की है जिसे इस साल किताब की शक्ल में लाने को बजिद हैं, उन्होंने नाटक लिखे हैं तो वही वे देश विदेश के अखबारों के चर्चित स्तम्भकार भी है.

महेन्द्र प्रताप शर्मा (Artist )
युवतर पीढ़ी में राजस्थान के विलक्षण चित्रकार
, राजस्थान विवि से MA के स्वर्णपदक प्राप्त. देश भर की कला प्रदर्शनियों में भाग लिया. पेशे से व्याख्याता महेन्द्र नोहर में रहते है. उनका काम देश विदेश की गैलरियों में शामिल है .


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