Tuesday, January 18, 2011

हम कदम ( हरप्रीत कौर Vs अविनाश )

ये कैसी लड़की है

सवेर है
मैं तम्हारी तलाश में पड़ी हूँ निकल
शब्द नहीं थे सन्देश


दोपहर है
तुम्हारे घर का दरवाज़ा बंद है
मैं तुम्हे झिर्रियों में से रही हूँ देख
तुम्हारी पीठ पर किसी लड़की की याद
हुंकारें भर रही है

शाम है
तुमने दरवाज़ा खोला तुम्हारी परछाई ने
भर लिया मुझे बाँहों में
अहसास नहीं था भ्रम

रात है
तुम किसी की याद को चबाकर
थूक रहे हो
मेरे चेहरे को
हवा खा रही है
तुम विस्माद की
सोच रहे हो
ये कैसी लड़की है !


हरप्रीत कौर (Poet)
श्रीगंगानगर जिले में जन्मी हरप्रीत की कविता विरासत हिंदी , पंजाबी ओर राजस्थानी तीन भाषाओँ से है , हिंदी में MA करने के बाद इन दिनों महात्मा गाधी विवि वर्धा में शोधरत हैं, जनवादी लेखक संघ से जुडाव रहा है, कविताओं पर कोलाज बनाना और अनुवाद उनके प्रिय काम है, इधर हंस, वसुधा, ज्ञानोदय, वर्तमान साहित्य आदि में आई इनकी कविताओं ने हिंदी जगत का ध्यान खीचा है

अविनाश (Artist)
काल जगत की एक उम्मीद का नाम है अविनाश झुंझुनू में जन्मे, विजुअल आर्ट में अध्ययनरत हैं मूर्तिकला में खास रूचि, राज्य पुरस्कार के साथ अनेक एकल और सामूहिक प्रदर्शनियों में हिस्सेदारी.


2 comments:

रवि रतलामी said...

कमाल का संयोजन है. कविता में भी और कलाकृति में भी. बेमिसाल. अद्भुत.

Harish Harry said...

bahut sunder bhavabhivyakati aur laajwab chitrankan